ग्राम कचहरी स्तर पर सुनवाई के दायरे
ग्राम कचहरी की न्याय पीठ सिविल मामलों में ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकती है,जिनका मूल्य दस हजार रुपये से अधिक न हो।ग्राम कचहरी को वाद बटवारा के सभी मामले ,सिवाय उन वादों के, जहां विधि का जटिल प्रश्न है या टाइटल निहित नही हो, की सुनवाई करने एवं अपना निर्णय देने की भी अधिकारिता प्राप्त है।
अपराधिक मामलों में भारतीय दंड 1860 की निम्न धाराएं ग्राम कचहरी अस्तर पर सुनवाई के दायरे में आती है:- धरा-142, 145,147,151,153,160,127,174,178,269,277,285,-286 एवपशु अतिचर् अधिनियम, 1871की धरा 24और 26के अधिन किए गए अपराध भी ग्राम कचहरी की दंडित आधिकारिता के अधीन आते हैं।
ग्राम कचहरी के दंडाधिकारी अधिकार
ग्राम कचहरी की न्याय पीठ दोषी को एक हजार रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है। ग्राम कचहरी को करवास का दंड देने का अधिकार नहीं है। ग्राम कचहरी की न्याय पीठ अपने आदेश के फल स्वरुप वसुले गए जुर्माने का संपूर्ण अथवा अंश भाग उस अपराध के कारण हुई हानि अथवा छती की पूर्ति के लिए दे सकती है। शांति भंग होने की आशंका की स्थिति में सरपंच संबंधित व्यक्तियों को विवाद ग्रस्त काम को रोकने का आदेश दे सकते हैं ।यह आदेश 30 दिनों तक प्रभावी रहता है और सरपंच को तुरंत इसकी रिपोर्ट अनुमंडल दंडाधिकारी को उचित करवाई है तो भेज देनी होती है।
अपील के प्रावधान
न्याय पीठ के निर्णय से प्रभावित व्यक्ति ग्राम कचहरी की पूर्ण पीठ में निर्णय के तीस दिनों के अंदर अपील दायर कर सकता है।इस पीठ में सरपंच सहित सभी पंच सदस्य होंगे और इसका कोरम7 सदस्यों की उपस्थिति में पूरा होगा।पूर्ण न्याय पीठ के निर्णय के विरूद्ध दीवानी मामले में सब -जज के यहां एवं अपराधिक मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां अपील की जा सकती है।