अंतरिक्ष विज्ञान
अंतरिक्ष विज्ञान एक व्यापक शब्द है जो ब्रह्मांड के अध्ययन से जुड़े विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों का वर्णन करता है तथा सामान्य तौर पर इसका अर्थ “पृथ्वी के अतिरिक्त” तथा “पृथ्वी के वातावरण से बाहर” भी है। मूलतः, इन सभी क्षेत्रों को खगोल विज्ञान का हिस्सा माना गया था। हालांकि, हाल के वर्षों में खगोल के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि खगोल भौतिकी, का इतना विस्तार हुआ है कि अब इन्हें अपनी तरह का एक अलग क्षेत्र माना जाता है। कुल मिला कर आठ श्रेणियाँ हैं, जिनका वर्णन अलग से किया जा सकता है; खगोल भौतिकी, गैलेक्सी विज्ञान, तारकीय विज्ञान, पृथ्वी से असंबंधित ग्रह विज्ञान, अन्य ग्रहों का जीव विज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स/ अंतरिक्ष यात्रा, अंतरिक्ष औपनिवेशीकरण और अंतरिक्ष रक्षा. लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस और डेवी दशमलव प्रणाली में एक “वर्णनात्मक खगोल विज्ञान” नामक प्रमुख वर्गीकरण है, जिनका प्रयोग वे अपने विशाल “भूगोल” के संग्रहों के वर्णनात्मक कामों के स्थान पर करते हैं। अंतरिक्ष विज्ञान को अंतरिक्ष अनुसंधान और अंतरिक्ष की खोज के साथ जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए।
अंतरिक्ष यान प्रणोदन
अंतरिक्ष यान प्रणोदन अंतरिक्ष यान और कृत्रिम उपग्रहों की गति तेज करने की प्रक्रिया है। इसकी अनेक विधियाँ हैं। यह अंतरिक्ष अनुसंधान का महत्त्वपूर्ण भाग है। ज्यादातर अंतरिक्ष यान आज सुपरसोनिक यानों के माध्यम से प्रक्षेपित किए जाते हैं। इनमें प्रयुक्त रॉकेटों में रासायनिक इंधन प्रयुक्त होते हैं। ये जलने पर भारी मात्रा में गैस उत्पन्न करते हैं जिसके नोजल द्वारा उत्सर्जन के सहारे यान को गति दी जाती है। सोवियत समूह ने उपग्रहों के प्रणोदन के लिए दशकों से बिजली प्रणोदन का इस्तेमाल किया है।